Jai Jai Bhairavi Asur Bhayavani (Maithili)
Jai Jai bhairavi Lyrics, Vidyapati
जय जय भैरवी असुर-भयाउनि, पशुपति-भामिनि माया।
सहज सुमति बर दिअ ओ गोसाउनि अनुगति गति तुअ पाया॥
बासर-रैनि सबासन सोभित चरन, चंद्रमनि चूड़ा।
कतओक दैत्य मारि मुँह मेलल, कतन उगिलि करु कूड़ा॥
सामर वरन, नयन अनुरंजित, जलद-जोग फुल कोका।
कट-कट बिकट ओठ-पुट पाँड़रि लिधुर-फेन उठ फोका॥
घन-घन-घनन धुधुर कट बाजए, हन-हन कर तुअ काता।
विद्यापति कवि तुअ पद सेवक, पुत्र बिसरु जुनि माता॥
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