Sakhi ki puchhasi anubhav -Sharda sinha,
शारदा शिन्हा, सखी की पुच्छसि अनुभव -शारदा सिन्हा
Lyrics: Vidyapati

सखि ह कि पुछसि अनुभव मोए।
सेह पिरिति अनुराग बखानिअ तिल-तिल नूतन होए॥

जनम अबधि हम रूप निहारल नयन न तिरपित भेल॥
सेहो मधुर बोल स्रवनहि सूनल स्रुति पथ परस न गेल॥

कत मधु-जामिनि रभस गमाओलि न बूझल कइसन केलि॥
लाख लाख जुग हिअ-हिअ राखल तइओ हिअ जरनि न गेल॥

कत बिदगध जन रस अनुमोदए अनुभव काहु न पेख॥
विद्यापति कह प्रान जुड़ाइते लाखे न मीलल एक॥

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