Lyricist: Mahakavi Vidyapati
Singer : Chandan Singh, गीत: कुंज भवन से निकलसी रे, गीतकार: महाकवि विद्यापति
गायक: चंदन सिंह

कुंज भवन सएँ निकसलि रे रोकल गिरिधारी। एकहि नगर बहु माधव हे जनि करु बटमारी॥ छाड़ कान्ह मोर आँचर रे फाटत नब सारी। अपजस होएत जगत भरि हे जनि करिअ उघारी॥ संगक सखि गुआइलि रे हम एकसरि नारी। दामिनि आए तुलाएलि हे एक राति अँधारी॥ भनहि विद्यापति गाओल रे सुनु गुनमति नारी। हरिक संग किछु डर नहि हे तोंहे परम गमारी॥

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