विद्यापति गीत
के पतिया लय जायत रे, मोर प्रियतम पास
हिय नहि सहय असह दुःख रे, भेल साओन मास
एकसरि भवन पिया विनुरे ,मोरा रहलो न जाय
सखी अनकर दुःख दारूण रे ,जगके पतिआय
विद्यापति कवि गाओल रे ,धरु धनि मन आस
आओत रसिक शिरोमणि रे ,पिय कातिक मास