Amod Jha, गीत: कखन हरब दुःख मोर, आमोद झा

कखन हरब दुःख मोर हे भोलानाथ।
दुखहि जनम भेल दुखहि गमाओल

सुख सपनहु नहि भेल हे भोला।
एहि भव सागर थाह कतहु नहि

भैरव धरु करुआर हे भोलानाथ।
भन विद्यापति मोर भोलानाथ गति
देहु अभय बर मोहि, हे भोलानाथ।
कखन हरब दुःख मोर हे भोलानाथ।

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